प्यार


मुश्किल है ये कितना मुझको...
लिख देना उन जज्बातों को...
लगता है की छुप जातें हैं...
जब खोजता हूँ उन लफ्जों को ||

वैसे तो बहुत बदनाम हैं...
ये प्यार करने वाले सब...
फिर बढती क्यूँ है प्यास मगर...
एक दिलबर के दीदार को ||

क्यूँ लगता है फिर मीठा ये...
जो दर्द कभीवो, हमको दे दे...
गर ना हो प्यार तो नफरत ही...
कुछ तो कभी वो हमसे कहदे...
क्यों है इतना दीवानापन...
देते हैं भुला हम खुद ही को...
और लगता है खो जाती हैं...
जब खोजते हैं इन वजहों को ||

खुशियाँ अपनी रम जाती हैं...
उसकी दुनिया की खुशियों में...
दिल कहता है की छीन ले...
गम उसके तू हर कीमत पे...
है किया इजाद हमने या फिर...
लेगा खुदा ही इस ज़िम्मे को ||

क्यूँ मुश्किल है इतना मुझको...
लिख देना उन जज्बातों को...
क्यूँ.. लगता है छुप जातें हैं...
जब खोजता हूँ उन लफ्जों को ||


अभय कुमार

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