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वो चाहत ही है, जो अंधेरी आंखों मे, उजाला भर देती है…वो चाहत ही है,जो खो जाय तो, इन आंखों मे आँसूओ का समंदर भर देती है॥

आँसू

शब्दों की तलाश मे, ये रात गुजर जायेगी…

कुछ बातों की आस मे, कायनात बदल जायेगी…

जब चाहतों की उसकी, सौगात चली जायेगी…

तब चीखेंगे आँसू, और, बरसात सहम जायेगी॥

इन रात के अंधेरों मे, मै रह रहा सा था कहीं…

तू प्यार का एक दीप जला, इक उजियारा सा कर गई…

जब लौ को बचाने मे, हथेलियां सुलग जायेंगी…

तब चीखेंगे आँसू, और, बरसात सहम जायेगी॥

प्यासा राही बनकर मै, भटकता रहा उन राहों में…

तू अक्सर मुझको प्रेम का, एक प्याला पिला जाती थी…

जब राहों से ओस की, वह बूदें सूख जायेंगी…

तब चीखेंगे आँसू, और, बरसात सहम जायेगी॥

भीड़ की आवाज भी, जब अनसुनी सी थी कहीं…

तब आहटों को भी तूने, इन सासों मे बसा दिया…

जब घुंघरुओ की छ्नछनाहट, ये आँगन छोड़ जायेगी…

तब चीखेंगे आँसू, और, बरसात सहम जायेगी॥

एहसास ना था धूप का, इस जलन का, उस आग का…

पर तेरे एक स्पर्श  ने, इस रूह को सहला दिया…

जब चाँद की शीतलता भी, इक ऊष्णता बन जायेगी…

तब चीखेंगे आँसू, और, बरसात सहम जायेगी॥

ना चाहता था जानना, इस मौसम को आकाश को…

ना तनहाइयों का फ़ीकापन, ना साथ की मिठास को…

जब दर्द भरे संसार मै, तू मुझको छोड़ जायेगी…

फ़िर ना चीखेंगे आंसू, पर, ये सांसे रूठ जायेंगी…॥


अभय कुमार

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