क्या तू रिश्ते निभाएगा।।।
जब अपनों को ही ना समझ पायेगा।।
बचपन में लोरी किसने सुनाया।।
क़दमों पे चलना किसने सिखाया।।
क्या किसी से कसमें निभाएगा।।
जब अपनों को ही ना समझ पायेगा।।।
जग जग के राते किसने गुजारी।।
तुझको खिलाने, भूख किसने मारी।।
क्या किसी को अपना निवाला खिलायेगा।।
जब अपनों को ही ना समझ पायेगा।।।
बिठा कन्धों पर किसने दुनिया दिखाई।।
ख्वाइशें पूरी करने, खुशियाँ किसने गवांइ।।
क्या तू किसी को जन्नतें दिखायेगा।।
जब अपनों को ही ना समझ पायेगा।।।
हर गलतियों को तेरी किसने किया माफ़।।
सुनकर कड़वी बातें किसने किये हर आंसू साफ।।
ठुकराकर उनको ,मुह किसको दिखायेगा।।
जब खुद को ही ना समझ पायेगा।।।।
अभय कुमार
30/09/2015